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नई दिल्ली — महाराष्ट्र के स्थानीय स्वराज्य संस्थानों के चुनाव एक बार फिर अनिश्चित हो गए हैं। ओबीसी राजनीतिक आरक्षण से जुड़े मामले की महत्वपूर्ण सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आगे बढ़ा दिया। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ के समक्ष यह सुनवाई निर्धारित थी।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार को अधिक जानकारी जुटाने के लिए समय मांगा। अदालत ने यह मांग स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई शुक्रवार, 28 नवंबर को दोपहर 12 बजे तय की। इसके बाद ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद, नगरपालिका और महानगरपालिका चुनावों का पूरा कार्यक्रम एक बार फिर दुविधा में पड़ गया है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंग ने बताया कि कई स्थानों पर चुनावों की घोषणा हो चुकी है और उम्मीदवार नामांकन दाखिल कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि कई स्थानीय संस्थानों में 50% से अधिक आरक्षण दिया गया है, जो संविधान के अनुरूप नहीं है।
सरकार की ओर से तुषार मेहता ने बताया कि 246 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों के चुनाव 2 दिसंबर को होने वाले हैं, जबकि जिला परिषद, पंचायत समिति और महानगरपालिकाओं के चुनाव अभी लंबित हैं। उन्होंने पूर्व आदेश की व्याख्या समझने के लिए एक दिन की मोहलत मांगी।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि अदालत आज किसी भी टिप्पणी से बचेगी और अंतिम आदेश जो भी होगा, उसी के अनुसार चुनाव होंगे। चुनाव आयोग ने भी कहा कि यदि कोई आदेश आता है, तो आरक्षण सूची में तत्काल बदलाव करना पड़ेगा।
सुनवाई टलने के बाद राज्य में चुनाव कार्यक्रम और अधिक असमंजस में आ गया है। अब सबकी निगाहें 28 नवंबर की सुनवाई पर हैं।




