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फंड और छात्र हितों पर जोर
मुंबई: राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले की अध्यक्षता में ओबीसी उपसमिति की अहम बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए। बैठक में यह तय हुआ कि कुणबी प्रमाणपत्र केवल असली दस्तावेजों के आधार पर ही दिए जाएंगे। नकली, संशोधित या काट-छांट वाले दस्तावेज स्वीकार नहीं किए जाएंगे। विशेष रूप से मराठा समुदाय के संदिग्ध दस्तावेज़ों पर प्रमाणपत्र देने से मना किया गया। बैठक में ऐसे गलत दस्तावेजों के उदाहरण भी पेश किए गए।
मंत्री भुजबळ का विरोध-
बैठक में मंत्री छगन भुजबळ ने ओबीसी और मराठा समाज को मिलने वाले फंड में भेदभाव पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, “पिछले 25 सालों में ओबीसी को केवल 2,500 करोड़ रुपये मिले, जबकि सिर्फ 3 साल में मराठाओं को 25,000 करोड़ रुपये दिए गए। अण्णासाहेब पाटील निगम को 750 करोड़ मिले, जबकि ओबीसी विकास निगम को केवल 5 करोड़। यह असमानता सही नहीं है।”
भुजबळ ने मांग की कि शिंदे समिति की तरह, नकली कुणबी रिकॉर्ड की जांच के लिए विशेष समिति बनाई जाए।
ओबीसी निगमों के लिए फंड की मांग-
बैठक में बावनकुले ने कहा कि ओबीसी मंत्रालय को 2,900 करोड़ रुपये का फंड मिलना चाहिए। राज्य में कुल 22 ओबीसी निगम हैं और उन्हें पर्याप्त निधि की आवश्यकता है। सरकार से इस फंड की मांग की जाएगी। बैठक में कुल 18–19 महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई।
छात्रों और हॉस्टल से जुड़ी मांगें-
समिति ने यह भी कहा कि ओबीसी छात्रवृत्ति किसी भी कारण से बंद न की जाए, राज्यभर में ओबीसी हॉस्टल उपलब्ध हों और ओबीसी से जुड़े कार्यों के लिए अलग कार्यालय स्थापित किए जाएं।
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