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मुंबई : महाराष्ट्र सरकार की लोकप्रिय योजनाओं पर एक बार फिर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। गरीब और आम जनता के लिए राहत देने वाली ‘आनंदाचा शिधा’ योजना इस बार पूरी तरह ठप पड़ी नजर आ रही है। न गणेशोत्सव में इस योजना का कोई अता-पता मिला और न ही अब दिवाली से पहले कोई तैयारी दिखाई दे रही है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि ‘शिवभोजन थाली’ की तरह क्या अब ‘आनंदाचा शिधा’ योजना भी इतिहास बन जाएगी?
त्योहारों के समय गरीब परिवारों को घर में मिठाई और पकवान बनाने के लिए मदद मिले, इस उद्देश्य से राज्य सरकार ने ‘आनंदाचा शिधा’ योजना शुरू की थी। केवल 100 रुपये में लाभार्थियों को एक किलो चना दाल, चीनी, रवा और एक लीटर खाद्य तेल का किट दिया जाता था। लेकिन पिछले कुछ महीनों से इस योजना का वितरण पूरी तरह बंद पड़ा है।
2023 में गुड़ीपड़वा, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जयंती, गणेशोत्सव और दिवाली के अवसर पर इस योजना के तहत बड़ी संख्या में किट वितरित किए गए थे। 2024 में अयोध्या में राममंदिर प्राणप्रतिष्ठा और छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती के मौके पर भी योजना लागू की गई थी। लेकिन इस वर्ष न गणेशोत्सव पर और न ही दिवाली से पहले सरकार की ओर से कोई पहल होती नजर आ रही है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि योजना अब ठंडे बस्ते में चली गई है।
मराठवाड़ा, सोलापुर और विदर्भ जैसे क्षेत्रों में अतिवृष्टि से किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है। इस पृष्ठभूमि पर उम्मीद थी कि ‘आनंदाचा शिधा’ योजना इन इलाकों में कुछ राहत देगी, मगर दिवाली में अब कुछ ही दिन बाकी हैं और प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
इसी बीच, ‘महायुती सरकार’ के कार्यकाल में कई योजनाओं का बड़े पैमाने पर प्रचार हुआ था, लेकिन सत्ता में आने के बाद फंड की कमी के चलते कई योजनाएं मुश्किल में आ गईं। ‘शिवभोजन थाली’, ‘तीर्थाटन योजना’, ‘लाडकी बहन योजना’ जैसी कई योजनाओं को आर्थिक सहायता बंद होने के कारण ठप होना पड़ा है।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार बार-बार यह दावा करते हैं कि कोई भी योजना बंद नहीं की गई है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी कहती है। फिलहाल राज्यभर में ‘सरकारी खजाना खाली’ होने की चर्चा जोरों पर है और ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या ‘आनंदाचा शिधा’ योजना भी अब बंद होने की राह पर है?
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